Ad Code

Responsive Advertisement

युवा लेखक वीरेंद्र सागर ने अपनी एक कविता में लिखा! मौत के मंजर कि मैं किताब लिखता हूं,*


शिवपुरी। शहर के युवा लेखक वीरेंद्र सागर ने कोरोना महामारी में अपनी भावुक कविता में ईश्वर से प्रार्थना कर सागर के ह्रदय का मैं तुझको पैगाम लिखता हूं। पढ़िए युवा लेखक वीरेंद्र सागर की एक कविता। 

मौत के मंजर कि मैं किताब लिखता हूं। 

लोगों के बिखरते हुए सपनों का मैं हिसाब लिखता हूं ||

मछली की तरह तड़प रहे हैं जो,

 उन लोगों के मन का मैं भाव लिखता हूं ||

जीवन के लिए जरूरी है जो,

 उन सांसो का मैं आभाव लिखता हूं||

 रोते बिलखते रह गए जो मां बाप के लिए,

 उन बच्चों के मैं तन्हा ख्वाब लिखता हूं||

लिखता हूं उनके ख्वाब भी जिनके बेटे बेटी चले गए,

 यह कविता उन मां-बाप की  मालिक मैं तेरे नाम लिखता हूं ||

खत्म कर मौत का खेल अब मेरे मालिक,

 यह प्रार्थना तुझको मैं सुबह शाम लिखता हूं||

दुख के भाव से भर गया है सागर,

सागर के हृदय का मैं तुझको पैगाम लिखता हूं||

breaking news

Close Menu